Osho Biography in Hindi । आचार्य रजनीश ओशो की जीवनी
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आज हम बात करनेवाले है आचार्य रजनीश ओशो ( Osho Biography ) के बारे मैं । ओशो का सभी देशों मै विरोध हुआ था लेकिन अभी ऐसा एक देश नहीं की जहाँ उनके प्रशंसक नहीं । हर देश, हर लोग उनके प्रशंसक है तो चलिए आज थोडासा हम उनके बारे मै जानेंगे जो सदियों मै सिर्फ एक बार होते है । ओशो एक भारतीय रहस्यवादी गुरु और शिक्षक थे जिन्होंने ध्यान के लिए अध्यात्मिक अभ्यास बनाया, वो एक अध्यात्मिक नेता है और पुरे विश्व मै उनके लाखों, करोडो मै उनके अनुयायी और उतने ही उनके विरोधी है । वे एक प्रतिभाशाली वक्ता थे और किसी भी प्रकार के विषयों मै अपने विचार व्यक्त करने मै वो थोडा भी नहीं झिजकते थे । उन्हें रूडिवादी और समाजवादी निषेध भी माना जाता है । एक हिन्दुस्तानी जाकर अमेरिका जैसा देश हिला देता है तो सोचिये कैसे होंगे ओशो । ओशो ने हमेशा स्वच्छंद जीवन और फ्री सेक्स ऐसी बातों का समर्थन किया है । इसके अलावा हम ओशो के बारे मै यह कहते सुनते है वे धर्म, राष्ट्रवाद, परिवार, विवाह के सक्त विरोधी है । तो चलिए आज हम आचार्य रजनीश के बारे मै जानेंगे ।
और कुछ प्रेरणादायी विचार :
- ओशो के जीवन बदल देने वाले विचार । Osho quotes on Happiness in Hindi
- “लक्ष्य” पर अनमोल विचार । Inspirational Quotes for students in Hindi
ओशो का जन्म 11 दिसम्बर 1931 ( Osho Birthdate ) को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव कुचवाडा में हुआ था । उनका बचपन में नाम चन्द्र मोहन जैन था जो अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे । उनके पिता का नाम बाबूलाल जैन और माता का नाम सरस्वती जैन था जो तेरापंथी जैन थे । ओशो सात वर्ष की उम्र तक अपने नानाजी के यहा रहे थे । जब ओशो सात वर्ष के हुए तब उनके नानाजी की मृत्यु हो गयी इस वजह से उन्हें अपने माता-पिता के पास रहने के लिए आना पड़ा था । स्कूल में ओशो एक परम बौधिक और विद्रोही छात्र के रूप में जाने जाते थे । जो दो राष्ट्रीय संघटनों इंडियन नेशनल आर्मी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे लेकिन कुछ दिनों में ही उन्होंने इनकी सदस्यता त्याग दी ।
एक बार ओशो के जन्म के समय उनके माता पिता को उनके ज्योतिष ने कहा था कि ये बालक सात वर्ष से अधिक जीवित रह गया तो वो उसकी जन्म कुंडली बनायेंगे क्योंकि उनके अनुसार ओशो साथ वर्ष से अधिक जीवित नही रह सकते थे और यदि जीवित रहते है तो हर सात वर्ष में उनको मौत का सामना करना पड़ेगा । इसलिए उनके माता पिता हमेशा उनकी चिंता करते रहते थे । इसी कारण जब वो 14 वर्ष के हुए थे तब वो एक मन्दिर में जाकर मौत का इंतजार करने लगे । सात दिनों तक एक वक़्त का खाना खाकर मौत का इंतजार किया लेकिन उनका बाल भी बांका नही हुआ था ।
ओशो का कहना था की जीवन मै प्रेम, ध्यान और हास्य प्रमुख रूप से अनमोल है । मनुष्य भावनात्मक संबधों के कारण खुद को पहचान नहीं पाता है, उसे अपने भीतर ध्यान को उत्पन्न करने की कला सीखनी चाहिये । ओशो को अमेरिका सरकार ने बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया था । इस बीच ओशो को जेल मै जहर दिया गया था । ये जहर एक स्लो poison नाम से जाना जाता है ज्योकी धीरे धीरे शरीर को मौत के नजदीक ले आता है । इस हरकत पर ओशो ने कहाँ था की “ऐसी हरकतों को मनुष्य को इतिहास मै अमर कर जाती है ” ।
वर्ष 1964 मै ओशो के प्रवचनों को रेकॉर्ड किया गया और बुक भी प्रिंट किये थे । 1971 के बाद उन्होंने अपना जीवन पुणे आश्रम मै बिताया, वहाँ रोज सुबह 90 मिनट का प्रवचन देते थे । ओशो लगातार 15 वर्ष प्रवचन देते रहे और 1921 से साडे तीन साल के लिए वो सार्वजानिक मौन मै चले गये । ओशो ने हिन्दू, मुस्लिम ,सिख, इसाई ,जैन कई धर्मो पर प्रवचन दिये थे और अक्सर मीरा, कबीर, येशु, कृष्ण, नानक, कबीर, रबिंद्रनाथ टागोर जैसे कई महापुरुषों के बारे मै प्रवचन दिये । कृष्ण के बारें मै तो उन्होंने बहुत अच्छा समजाया ।
1969 में ओशो के अनुयायियो ने उनके नाम पर एक फाउंडेशन बनाया जिसका मुख्यालय मुंबई था । बाद में उसे पुणे के कोरेगांव पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया । वह स्थान “ओशो इंटरनेशनल मैडिटेशन रिसोर्ट ” ( Osho International Meditation Resort ) के नाम से जाना जाता है । गांधीजी से मिलने के लिये उन्होंने 13 घंटे रेलवे स्टेशन पर इंतजार किया था । ओशो महात्मा गांधी से सिर्फ एक बार मिले थे जब वे सिर्फ 10 साल के थे । क्यूंकि गांधीजी जिस ट्रेन से आनेवाले थे वो ट्रेन 13 घंटे लेट आने वाली थी और सारे लोग वहासे जा चुके थे लेकिन ओशो वहाँ रुके थे । तो यही Dedication हम और आप मै चाहिये जो करना है वो करना है । एक लक्ष्य होना चाहिये, जो कैसा भी लक्ष्य हो , वो लक्ष्य उन्होंने हमेशा हासिल किया जो उन्होंने चाहा ।
वे जबलपुर के हितकारिणी कॉलेज में पढाई कर रहे थे और उन्होंने एक प्रशिक्षक के साथ बहस किया जिसके कारण उन्हें वहां से निकाल दिया गया । उसके बाद 1955 में उन्होंने डी. एन. जैन कॉलेज से फिलोसोफी में B.A पूरा किया । अपने छात्र जीवन से ही वे लोगों के समक्ष भाषण देना शुरू कर दिया था। उन्होंने बाद में 1957 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ सागर से 21 वर्ष की आयु में फिलोसोफी में M.A डिस्टिंक्शन के साथ साथ पास किया ।
ओशो की एक बुक है “संभोग से समाधी तक” ( Osho books ) । ओशो ने कई सारे पुस्तक लिखे लेकिन ओशो की “संभोग से समाधी तक ” इस पुस्तक की वजह से वो हमेशा विवादों मै घिरे रहे । इस पुस्तक (संभोग से समाधी तक) का नाम ऐसा है तो ऐसा नहीं की वो पुस्तक सेक्स का है , जब हम उसे पढोगे तो समज मै आयेगा की वो कहना क्या चाहते है । इसीलिए उन्हें सेक्स गुरु नाम से जाना जाता है । ओशो पर बहुत सारे आरोप भी लगे । ओशो के कठोरता के कारण भारतीय धार्मिक नेता द्वारा ओशो को झूठे वादे और भ्रम फ़ैलाने का आरोप लगाया गया । फिर भी बहुत बड़े बिज़नसमन और लोयर ओशो को फोलो करने लगे थे ।
58 वर्ष के उम्र मै ओशो की मृत्यु हुई ( Osho death ) । उनके लिए ऐसा कहा जाता है कि “Never Born -Never Died-Only Visited This Planet Earth Between -11 December 1931 – 19 January 1990” “ना जन्म हुआ और ना म्रत्यु हुयी केवल 11 दिसम्बर 1931 से 19 जनवरी 1990 तक पृथ्वी पर भ्रमण किया ” । आज भी देश विदेश से सैकड़ो अनुयायी उनके आश्रम में ध्यान लगाने के लिए आते है । ओशो को उनके अनुयायी युगपुरुष कहते है जिन्होंने लोगो की मानसिकता बदल दी ।
और कुछ प्रेरणादायी विचार :
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- 7 Tips to get success in Life । सफल बनाना है तो ये आदते अपनालो
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3 comments
oralia
April 14, 2018 at 7:41 am
Thank you for your blog post.Really thank you! Awesome.
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Ashok Agrawal
October 23, 2018 at 2:59 pm
मेरे आत्म-प्रिय भगवन् राजा/चंद्रमोहन/रजनीश/ओशो अउम/भगवत्ता/भगवंता/भगवान/परमात्मा/परमेश्वर/अध्यात्मिकता/धर्म/सत्य/प्रेम/बुद्धत्व/होश/जाग्रण/चेतना रुपी परम-फुल की परम-सुगंध है!!!!!!!