उनके पिता के शब्द थे - तुम किसी दूसरे के घर किसी तीसरे को देखने जाते हो कुछ ऐसा करो कि तुम टीवी पर आओ और लोग तुम्हें देखने जाए । जिसको सुनकर रजत ने पिता की इन बातों से बहुत प्रभावित होकर अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और दिलों जान से पढ़ाई में लग गए ।